उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में तैनात एक महिला सिविल जज ने सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस को एक पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की मांग की है। महिला जज का आरोप है कि एक जिला जज ने उनके साथ शारीरिक और मानसिक रूप से प्रताड़ित किया है।
महिला जज ने अपने पत्र में लिखा है कि वह इस पत्र को बहुत दर्द और निराशा में लिख रही हैं। उन्होंने कहा कि उन्होंने बहुत उत्साह और विश्वास के साथ न्यायिक सेवा में शामिल हुई थीं, लेकिन उन्हें जल्द ही न्याय का भिकारी बना दिया गया।
महिला जज ने आगे लिखा है कि उनकी सेवा के थोड़े से समय में ही उन्हें खुली अदालत में दुर्व्यवहार का दुर्लभ सम्मान मिला है। उनके साथ हद दर्जे तक यौन उत्पीड़न किया गया है।
उन्होंने कहा कि वह भारत में काम करने वाली महिलाओं से कहना चाहती हैं कि वे यौन उत्पीड़न के साथ जीना सीखें। उन्होंने कहा कि पॉश एक्ट यानी कि यौन उत्पीड़न से महिलाओं का संरक्षण अधिनियम उन्हें बताया गया सबसे बड़ा झूठ है।
महिला जज ने कहा कि जब वह कहती हैं कि कोई उनकी नहीं सुनता तो इसमें सुप्रीम कोर्ट भी शामिल है। उन्होंने कहा कि उन्हें आत्महत्या करने के लिए उकसाया जाएगा और अगर वे मेरी तरह भाग्यशाली नहीं होंगे तो उनका आत्महत्या का पहला प्रयास भी विफल हो जाएगा।
महिला जज ने कहा कि उन्होंने इस मामले में सितंबर 2022 में हाई कोर्ट को लिखा था, लेकिन वहां से कोई सुनवाई नहीं हुई। उन्होंने कहा कि जांच शुरू करने के लिए उन्हें बहुत मशक्कत करनी पड़ी। उन्होंने कहा कि हाई कोर्ट की इंटरनल कंप्लेंट कमेटी को भी जुलाई 2023 में पत्र लिखा था, लेकिन किसी ने ध्यान नहीं दिया।
महिला जज ने कहा कि जज होते हुए भी वे सिस्टम से नहीं लड़ पाईं। उन्होंने कहा कि उन्होंने केवल इतना अनुरोध किया था कि जांच के दौरान जिला जज का ट्रांसफर कर दिया जाए, लेकिन उनकी प्रार्थना पर भी ध्यान नहीं दिया गया।
महिला जज ने कहा कि पिछले डेढ़ साल में उन्हें एक चलती फिरती लाश बना दिया गया है। उन्होंने कहा कि उनकी जिंदगी का कोई मकसद नहीं बचा है।
महिला जज की इच्छा मृत्यु की मांग एक चौंकाने वाला मामला है। यह मामला न्याय व्यवस्था में महिलाओं के प्रति होने वाले उत्पीड़न को भी उजागर करता है।
पत्र में किए गए आरोपों पर जिला जज ने क्या कहा?
महिला जज के आरोपों पर जिला जज ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है। हालांकि, कुछ मीडिया रिपोर्टों में कहा गया है कि जिला जज ने इन आरोपों को निराधार बताया है।
क्या महिला जज की इच्छा मृत्यु की मांग को स्वीकार किया जाएगा?
यह एक कानूनी मामला है। इस मामले पर सुप्रीम कोर्ट को फैसला करना होगा कि क्या महिला जज की इच्छा मृत्यु की मांग को स्वीकार किया जाएगा।
महिला जज के मामले से क्या सीखना चाहिए?
महिला जज के मामले से हमें यह सीखना चाहिए कि न्याय व्यवस्था में महिलाओं के प्रति होने वाले उत्पीड़न को गंभीरता से लिया जाना चाहिए। ऐसे मामलों में पीड़ित महिलाओं को न्याय मिलना चाहिए।
इस मामले में भी, हमें यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिला जज को न्याय मिले।